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CHRISTMAS

Here’s a brief summary of the biblical reference and significance of Christmas:

क्रिसमस यीशु मसीह के जन्म का उत्सव है, जिनका जन्म बेथलहम में हुआ था। बाइबल में, उनके जन्म की कहानी ल्यूक और मैथ्यू के सुसमाचारों में वर्णित है। निम्नलिखित पद्यांश इस घटना को दर्शाते हैं:

  • ल्यूक 2:10-11: "स्वर्गदूत ने उनसे कहा, 'डरो मत, देखो, मैं तुम्हें बड़ी खुशी का सुसमाचार सुनाता हूं, जो सब लोगों के लिए होगा। आज तुम्हारे लिए दाऊद के नगर में एक उद्धारकर्ता उत्पन्न हुआ है, जो मसीह प्रभु है।'"

  • मैथ्यू 1:21-23: "वह एक पुत्र को जन्म देगी, और तुम उसका नाम यीशु रखना, क्योंकि वह अपने लोगों को उनके पापों से बचाएगा। और यह सब इसलिये हुआ कि जो वचन प्रभु ने भविष्यवक्ता के द्वारा कहा था, वह पूरा हो: 'देखो, एक कुमारी गर्भवती होगी और एक पुत्र को जन्म देगी, और लोग उसका नाम इम्मानुएल रखेंगे।'"

इन पद्यांशों में, बाइबल यह स्पष्ट करती है कि यीशु मसीह का जन्म एक महान घटना है, जो उद्धार और शांति का संदेश लाती है। क्रिसमस का उत्सव, यीशु मसीह के जन्म और उनके संदेश की याद में होता है, जो प्रेम, दयालुता और मानवता की सिखाने पर बल देता है।

आप बाइबल के इन सन्देशों को विस्तार से पढ़ सकते हैं और क्रिसमस के महत्त्व को समझ सकते हैं। क्या इससे जुड़ी और जानकारी चाहिए? 🎄📖

Brief historical background about christmas 

क्रिसमस का त्योहार यीशु मसीह के जन्म की स्मृति में मनाया जाता है, जिसका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व अत्यधिक है। इस त्योहार की उत्पत्ति 4वीं शताब्दी में हुई थी, जब ईसाई समुदाय ने 25 दिसंबर को यीशु मसीह के जन्मदिन के रूप में मान्यता दी थी। इससे पहले, विभिन्न समुदायों में शीतकालीन संक्रांति के आसपास उत्सव मनाए जाते थे।

इतिहासिक पृष्ठभूमि:

  1. प्राचीन त्योहार: ईसाई धर्म के प्रसार से पहले, रोमनों ने "सैटर्नालिया" नामक एक प्रमुख उत्सव मनाया करते थे, जो कृषि के देवता सैटर्न के सम्मान में होता था। यह उत्सव 17 से 23 दिसंबर तक चलता था और इसमें दावतें, खेल, और उपहारों का आदान-प्रदान शामिल था।

  2. ईसाईकरण: 4वीं शताब्दी में, रोम के सम्राट कॉन्स्टैन्टाइन के धर्मांतरण के बाद, ईसाई धर्म ने रोम में प्रमुखता प्राप्त की। चर्च ने 25 दिसंबर को क्रिसमस के रूप में चुना, ताकि यह सैटर्नालिया और सूर्य के जन्मदिन से जुड़ी पगान परंपराओं को सम्मिलित कर सके।

  3. मध्ययुगीन परंपराएं: मध्य युग में, क्रिसमस यूरोप में विभिन्न रूपों में मनाया जाता था। इस अवधि में क्रिसमस नाटकों, कैरल्स, और सामूहिक भोजों का प्रमुख स्थान था।

  4. आधुनिक उत्सव: 19वीं और 20वीं शताब्दी में, क्रिसमस ने अधिक परिवार-केंद्रित और व्यावसायिक रूप लिया। सांता क्लॉज़ की छवि, क्रिसमस ट्री, और उपहारों का आदान-प्रदान प्रमुख परंपराएं बन गईं।

आज, क्रिसमस दुनिया भर में विविध और रंगीन तरीकों से मनाया जाता है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों का मिश्रण है। यह त्योहार प्रेम, दया, और उदारता का प्रतीक है।

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